-----सुनो ---------
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सुनो
सुनो आज मैंने देखा था
तुम्हें देखा
सच ………
चले जा रहे थे
अपनी धुन में
अपनी ही मस्ती में
तुम्हारे चेहरे पर कहीं कोई शिकन नही
ना ही पछतावा था
तब थोड़ा दुःख हुआ
सोचा मैंने
क्या तुम वही हो ?
जिसने कभी वादा किया था
मुझसे ……….
हाँ … हाँ …… मुझसे
लेकिन तुम्हें याद भी नहीं
और मैं
मैं आज भी तुम्हें जीती हूँ
कितने स्वार्थी हो तुम ?
कितने बेपरवाह निकले
मैं मिसाल देती थी
तुम्हारा और किसका ?
जानते हो क्या ?
तुम्हारे सच्चे प्यार का
बड़ा गुरुर था मुझे ……
खुद पे
तुम पे
लेकिन झुठ ……
सब झूठ ……….
बेकार की बातें हैं
सबकी बातें नहीं मानी ,मैंने
कभी नहीं ………………
मुझे लगता था की तुम
अपनी जान से ज़्यादा
मानते हो मुझे
प्यार करते हो
आज देखा तुमको
अपने खुद की आँखों से
तुम्हारा चेहरा
और उसकी असलियत
जो कर ही नहीं सकता था किसी से प्यार
कभी नहीं
दुःख है मुझे
दुःख ही नहीं ,पछतावा भी है
बहुत………….
मैंने किसे चुना
अच्छा हुआ मैंने जाना तो
क्या ? क्यों घुर रहे हो ?
चले जाओ
चले जाओ यहाँ से
वाकिफ हूँ मैं
पता है मुझे सच और झूठ का
जाओ तुम…………
हमेशा के लिये…………
-----------कमला सिंह ज़ीनत
suno
suno aaj dekha tha
tumhe dekha
sach...........
chle jaa rahe the
apni dhun mein
apni masti mein
tumhare chehre par koi shikan nahi
naa hi pachhtaavaa thaa
thoda dikh hua
socha maine
kya tum wahi ho ?
jisne kabhi vaada kiya tha
mujhse............
haan......haan..........mujhse
lekin tumhen yaad nahi
aur main
main aaj bhi tumhen jiti hun
kitne swarthi ho ?
kitne beparwaah bhi nikle
mai misaal deti thi
tumhaara aur kiska ?
jaante ho kya ?
tumhare sachhe pyar kaa
bada gurur thaa mujhe.........
khud pe
tum pe
lekin jhuth.........
sab jhuth....
bekaar ki baaten hain
sabki baten nahi maani ,maine
kabhi nahi
dukh hai mujhe
dukh hi nahi pachhtaavaa bhi hai
bahut...........
maine kise chuna
achha hua maine jaana to .
kya ? kyu ghur rahe ho ?
chle jao
chle jao yahaan se
wakif hun main
pataa hai mujhe sach aur jhuth ka
jaao tum...........
hamesha ke liye.......
----------------kamla singh zeenat
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