Monday, 26 August 2013

-आओ न -

----------आओ न ---------
----------------------------------
चारों ओर ,छायी है घनघोर घटा
दिल में बिछ चुकी है
उमंग की चादर
हो रहा है मुझमें भी कुछ बदलाव सा
एक बच्ची प्यार की
ले रही है अंगडाईयाँ मेरे अन्दर
मेरी  फिक्र
मेरा ध्यान
ले जा रहा है खिंच कर तेरी यादों के सफ़र पे
फिर से -हाँ -फिर से
कर रहा  है भीगने का मेरा मन
झमाझम बारिश में
उठने वाले बुलबुलों के फुटन से
फुट रहा है
प्यार का संगीत
झमाझम -उफ़- झमाझम
बारिश -हाँ - बारिश
देखो ना
आओ
आ जाओ
बना  रही हूँ उन यादों के
महकते कागज़ से
इक नाव ………………………….
आओ ना
हम दोनों बैठेंगे पाल के नीचे
और निकल जायेंगे दूर तलक
धार के साथ
प्यार के साथ
आओ ना ……………………
आओ ना……………… ….
--------------------कमला सिंह 'ज़ीनत'

No comments:

Post a Comment