कहीं दरिया की मौजें और धारे हम हुए
अगर सैलाब आए तो किनारे हम हुए
अमावस की रेदा में चाँद जब परदा हुआ
अंधेरे को मिटाकर तब सितारे हम हुए
---कमला सिंह 'ज़ीनत'
अगर सैलाब आए तो किनारे हम हुए
अमावस की रेदा में चाँद जब परदा हुआ
अंधेरे को मिटाकर तब सितारे हम हुए
---कमला सिंह 'ज़ीनत'
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