ताक बाती दीया उसी का है सब
वह जलाये बुझाये मर्जी- ए -रब
वह जलाये बुझाये मर्जी- ए -रब
कमला सिंह 'ज़ीनत'
दो चार दिन ही बच गये मंजि़ल के हूं करीब
पीछे अब मुड़ के देखूं या आगे सफर करुं
पीछे अब मुड़ के देखूं या आगे सफर करुं
कमला सिंह 'ज़ीनत'
मसअला सामने है पेचीदा फैसला भी नहीं उतरता है
पीछे वाला पुकारता है मुझे आगे वाला इशारे करता है
पीछे वाला पुकारता है मुझे आगे वाला इशारे करता है
कमला सिंह 'ज़ीनत'
पर झुलसने की गर कहानी है
फिर तो परवाज़ आसमानी है
फिर तो परवाज़ आसमानी है
कमला सिंह 'जी़नत'
काफिर शुमार करके सही शैख मोहतरम
बुत मेरा मेरे साथ ही रखियो कफन तले
बुत मेरा मेरे साथ ही रखियो कफन तले
कमला सिंह 'जी़नत'