aik matla aik sher
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करुं मैं कैसे भला ये निबाह बतलाए
उसी से पूछ रही हूं गुनाह बतलाए
उसी से पूछ रही हूं गुनाह बतलाए
हमारे पास नहीं मशविरा सलीके का
कोई हो रास्ता उम्दा तो आह बतलाए
कोई हो रास्ता उम्दा तो आह बतलाए
----कमला सिंह 'ज़ीनत'
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