दिल के जज़्बात
Wednesday, 28 October 2015
शुक्र रब का है बलंदी पे अभी तक सर है
मेरा हमसाया मददगार मेरा परवर है
ऐ थपेड़ों सुनो कश्ती को हिला सकते नहीँ
मेरी कश्ती का निगहबान अभी ईश्वर है
कमला सिंह 'ज़ीनत'
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