Friday, 17 July 2015

एक शेर
लाशों का शहर भर में बाज़ार लगा देगा
दहशत का फरिश्ता है कोहराम मचा देगा

एक शेर
कत्ल की मेरी ही सुनवाई है
आज मुंसिफ बना कसाई है

एक शेर
जिसे जो चाहिए लेले कोई हाजत नहीं मुझको
मैं बचपन जी रही हूँ मेरा गुड्डा साथ रहने दे

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