वक्त के साथ नही करती मैं समझौता कोई
वक्त गर तोडना चाहे तो तोड़ दे मुझको
कमला सिंह 'ज़ीनत'
बहुत थकाती है यह शायरी भी उफ यारब
इसे उठा ले तू या मुझको मार दे पहले
कमला सिंह 'ज़ीनत'
मिला जो अब के वह फाँसी उसे चढा दूँगी
वह जिन्दा रहता है ऐसे कि मर चुका हो कोई
कमला सिंह 'ज़ीनत'
न जाने कौन से मंजिल का वो मुसाफिर है
कभी ठहरता नहीं है कभी वो जाता नहीं
कमला सिंह 'ज़ीनत'
तमाम मंजिलें उस बेवफा को मिल जायें
तमाम ठोकरें मेरे नसीब में हों शुमार
कमला सिंह 'ज़ीनत'
Woh is tarah se mujhe kah ke be wafa lauta
main chaah kar bhi use raaz daar kar na saki
Kamla Singh zeenat.
वक्त गर तोडना चाहे तो तोड़ दे मुझको
कमला सिंह 'ज़ीनत'
बहुत थकाती है यह शायरी भी उफ यारब
इसे उठा ले तू या मुझको मार दे पहले
कमला सिंह 'ज़ीनत'
मिला जो अब के वह फाँसी उसे चढा दूँगी
वह जिन्दा रहता है ऐसे कि मर चुका हो कोई
कमला सिंह 'ज़ीनत'
न जाने कौन से मंजिल का वो मुसाफिर है
कभी ठहरता नहीं है कभी वो जाता नहीं
कमला सिंह 'ज़ीनत'
तमाम मंजिलें उस बेवफा को मिल जायें
तमाम ठोकरें मेरे नसीब में हों शुमार
कमला सिंह 'ज़ीनत'
Woh is tarah se mujhe kah ke be wafa lauta
main chaah kar bhi use raaz daar kar na saki
Kamla Singh zeenat.
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