ऐसे सीने से मेरे खुदको गुज़ारे क़ातिल
जैसे गरदन से कोई चाकू उतारे का़तिल
चाँद का जि़क्र किया और ये आफ़त आई
हो गये सुनके उसी रात सितारे का़तिल
जैसे गरदन से कोई चाकू उतारे का़तिल
चाँद का जि़क्र किया और ये आफ़त आई
हो गये सुनके उसी रात सितारे का़तिल
---कमला सिंह 'ज़ीनत'
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