दिल के जज़्बात
Thursday, 31 March 2016
अभी तक हम उसी के ज़ुल्म की चक्की में पिसते हैं
जहाँ पर हाथ रखती हूँ वहीं से ज़ख्म रिस्ते हैं
कमला सिंह 'ज़ीनत'
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