दिल के जज़्बात
Monday, 28 March 2016
एक शेर
लौटे अभी अभी हैं ये सदियाँ गुजा़र के
मर्जी़ से ही उडे़ंगे कबुतर हैं प्यार के
कमला सिंह 'ज़ीनत'
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