Thursday, 30 March 2017

एक प्रयास 
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संग में आप हम तो सर में रहे 
आप अखबार हम ख़बर में रहे 

हमने तो छोड़ दिया बस्ती तक
बस फ़क़त आप ही नगर में रहे 

आप   बारूद  की   खुदाई    थे 
हम तो  सहमे हुए  से डर में रहे 

आपके  नाम  की   चिंगारी  थी 
 और हम मुफ़लिसी के खर में रहे 

जुल्म की आँधियों में गुम तुम थे 
हम  भरी  आँख लिए तर में  रहे

पूछते  क्यूँ  हैं  हाल 'ज़ीनत'  का 
उम्र  भर हम तो दर-ब-दर में  रहे  

----कमला  सिंह 'ज़ीनत'

2 comments:

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  2. संग में आप हम तो सर में रहे
    आप अखबार हम ख़बर में रहे

    lajawab shair hai yeh....

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