शायरी हो ना मेरी खूब तो पानी लिख दे
या तो फिर अहल-ऐ-कलम मुझको ज्ञानी लिख दे
शेर उला मैं कहे देती हूँ ले अहले फ़न
तू है फ़नकार तो फिर मिसरा-ऐ-सानी लिख दे
लफ्ज़ दर लफ्ज़ सूना देती हूँ अपने ख़ुद को
लफ्ज़ दर लफ्ज़ कोई मेरी कहानी लिख दे
पेंच ही पेंच बिखेरा है हर एक मिसरे में
होश मंदी है अगर तुझमेँ तो पानी लिख दे
तेरा खुद्दार क़लम है तो ऐ आक़िल दौरां
पूरी दुनियाँ को तू ईमान से फ़ानी लिख दें
ग़ौर से सुन ले तू 'ज़ीनत' को ज़रा देर तलक
बा शऊरी है अगर मुझमे ज़बानी लिख दे
-----कमला सिंह 'ज़ीनत'
आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द में" शुक्रवार 31 मार्च 2017 को लिंक की गई है.... http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
ReplyDeleteइन पंक्तियों से स्वागत है आप की लेखनी का
ReplyDeleteचलो चलें एक इक शाम सुहानी लिख दें
सहरा की रेत पे ही सही अपनी कहानी लिख दें
अच्छी रचना
बहुत ख़ूब !
ReplyDeleteवाह।
ReplyDeleteबहुत सुन्दर ग़ज़ल
ReplyDeleteवाह!!!
ReplyDeleteबहुत सुन्दर....
सुन्दर....
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