तुझसे किया है प्यार यही तो कुसूर है
इस बात पे भी यार क़सम से गुरुर है
रहती हूँ तेरी याद मेँ मसरुफ़ रात दिन
छाया हुआ है मुझ पे तेरा ही सुरूर है
क्या बात है की तुझमेँ ही रहती हूँ गुमशुदा
तुझसे कोई पुराना सा रिश्ता ज़रूर है
हर वक़्त जगमगाती हूँ उस रौशनी से मैं
सूरज है मेरा ,चाँद , तू ही मेरा नूर है
दीवाने पन को देख कर हैरत में लोग हैं
नफ़रत का देवता भी यहाँ चूर-चूर है
कहते हैं जिसको लोग पागल है बावला
'ज़ीनत' वही तो मेरा सनम बा-शऊर है
---कमला सिंह 'ज़ीनत'
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