तुम मेरे आफ़ताब ही रहना
एक ताज़ा गुलाब ही रहना
तुझको सर आँख पे बैठाऊँगी
बन के आली जनाब ही रहना
अपनी आँखों में तुझको रखूंगी
ख़्वाब हो तुम ख़्वाब ही रहना
सर्द पड़ जाए ना ख़ुमार कभी
उम्र भर तुम शराब ही रहना
बंद रखना मुझे क़यामत तक
दिल की बस्ती का बाब ही रहना
गर ज़माना सवालकर बैठे
तुम हमारा जवाब ही रहना
प्यास 'ज़ीनत' की बुझ न पाए कभी
खुश्क सहरा सुराब ही रहना
----कमल सिंह 'ज़ीनत'
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