Thursday, 31 October 2013

लम्हों  से कुछ खता हो गयी 
ज़िंदगी को कुछ सज़ा हो गयी 
मुज़रिम हो चाहे हो कोई  भी 
दुआओं में ज़ीनत अता हो गयी 
--------------कमला सिंह ज़ीनत  
हर  गली,हर राह सुनसान लगती  है 
ज़िंदगी भी   इक शमशान  लगती  है
हुआ तेरी मुहब्बत का असर ज़ीनत पर 
शहर ख्वाहिशों कि भी वीरान लगती है 
-------------कमला सिंह ज़ीनत 
 
 

Monday, 28 October 2013

ज़र्रा  तमाम  देख लो  निखरी हुई  हूँ  मैं 
ग़ज़लों के ज़ुल्फें नाज़ पे बिखरी हुई हूँ मैं
--------------------कमला सिंह ज़ीनत  
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zarra tamaam dekh lo nikhri hui hun main 
gazlon ke julfen naaz pe bikhri hui hun main 
--------------------kamla singh zeenat 
------------------ग़ज़ल----------------
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तुम  तो  जाके बैठे  हो  गेसुओं के साये में 
जल रही हूँ मैं अब भी बिजलियों के साये में 

उँगलियाँ  उठी  होंगी  तुम तो  डर गए होगे 
जी  रही  हूँ मैं लेकिन तल्खियों  के साये में 

क़ीमती जवानी थी जिसको तेरी गलियों में 
छोड़ कर चले आये  खिड़कियों के  साये के 

रौंदने   लगी   मुझको   बेवफ़ाईयों    तेरी 
छटपटा  रहे   हैं  हम  सलवटों  के साये में 

क्यूँ  जुदा  नहीं  करते  क्यूँ भुला नहीं   देते 
टूटते  हैं  हम  अक्सर  दूरियों  के  साये  में 

तुम  तो  खुश हुए  होगे  इक न एक  शायद 
मेरी  उम्र  गुज़री  है  हिचकियों  के  साये में 

लड़  रही  हूँ मैं  तन्हा ज़ीनत अब हवाओं से 
मसअला  है  जीने  का आँधियों  के साये में 
---------------------कमला सिंह ज़ीनत 
वो   बहुत लाजबाब  है मेरा 
सुर्ख ताज़ा  गुलाब है  मेरा 

आँख भर उसको रोज़ जीती हूँ 
खुशनुमा  एक ख्वाब  है मेरा 

उसके खुश्बू से हूँ  मॉत्तर मैं  
महका महका  नवाब है मेरा 

रात  उससे  ही जगमगाती है 
पुरकशिश  माहताब  है   मेरा 

जब बरसती हूँ उसकी यादों में 
फुट   पड़ता   हुबाब  है  मेरा 

रौशनी  बस उसी  से है ज़ीनत 
इक   वही   आफताब  है  मेरा 
---------कमला सिंह ज़ीनत  
-------ग़ज़ल-----------
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सूना यह आसमान लगता है 
अपना खोया मकान लगता है 

चाँद की रौशनी भी जुल्मत भी 
ये  समाँ  इम्तेहान  लगता है 

टूटता  है कोई सितारा जब 
मेरे  दिल पर निशान  लगता है 

जब भी कहता है दास्ताँ कोई 
मेरा अपना बयान लगता है 

रंगों - बू  का  फ़क़त है शैदाई 
दिल मेरा बागबान लगता है 

ज़ीनत जी मीर,दर्द,ग़ालिब,जौक 
खुशनुमा  साएबान लगता है 
----------------कमला सिंह ज़ीनत 

soona yah aasmaan lagta hai 
apna khoya makaan lagta hai 

chand ki raushni bhi julmat bhi 
ye samaan imtehaan lagtaa hai 

tuttaa hai koi sitaaraa jab 
mere dil par nishaan lagta hai 

jab bhi kahta hai dastaan koi 
meraa apna bayaan lagta hai 

rangon - bu ka fakat hai shaidaayi 
dil mera bagbaan lagtaa hai 

zeenat ji meer,dard.galib,jauk
khushnumaa sayebaan lagtaa hai 
--------------------kamla singh zeenat 

Thursday, 24 October 2013

ख्यालों से सबके विदा लेती है दोस्तो' ज़ीनत'
सुब्ह का सलाम लेकर हाज़िर होने के लिए  
--------------------------कमला सिंह ज़ीनत 
अजीब आलम है दिल का उसके शबे फुरकत में ज़ीनत 
अक्स भी उभरते,मिटते रहते हैं पानी के बुलबुलों के मानिंद  
--------------------------------कमला सिंह ज़ीनत 
चूड़ियों कि खनक से झूमती है रात उसकी 
साँसे भी महकती हैं उसकी खुश्बू से मेरी 
-----------------------कमला सिंह ज़ीनत 

पाज़ेब कि छुनछुन से धड़कता है दिल उसका 
आहटें भी ज़ीनत बेचैन बना देती हैं उसे 
-----------------------------------कमला सिंह ज़ीनत 
तेरे सजदे में सर झुकता है ज़ीनत का मेरे  मालिक 
मुकम्मल कर दिया देकर दुआओं में उसे 
------------------------------कमला सिंह ज़ीनत  
बड़े नेमतों और मुरादों के बाद मिला दुआओं में वो ज़ीनत 
ए खुदा रहमतों का सिलसिला ख़तम न हो तेरा मुझ पर 
-----------------------------कमला सिंह ज़ीनत 
आ तुझमे सिमट कर मुकम्मल हो जाऊं मैं ज़ीनत 
बड़े मुरादों के बाद पाया है ये लम्हां ज़िंदगी का 
-----------------------------कमला सिंह ज़ीनत 
इत्तेफ़ाक़ों कि झड़ी लगी है ज़िंदगी में ए ज़ीनत  
उसका मिलना भी एक इतेफाक है ज़िंदगी का  
----------------------------------कमला सिंह ज़ीनत 
हसरतों के बाज़ार में गया मोहब्बत को मोल लेने 'ज़ीनत'  
ख्वाब तो मिले साथ चाहतों का दर्द भी उसको 
-----------------------------------------कमला सिंह ज़ीनत 
आज तेरे आगोश में दम निकल जाये मेरी 
तमन्ना भी यही है और ज़ुस्तज़ू भी है मेरी 
---------------------------कमला सिंह ज़ीनत 
आँखों कि गिरफ्त से निकलकर रूह में जा बसा 
सोज़ का दरिया था वो ज़ीनत साज तक जा बसा
------------------------------कमला सिंह ज़ीनत  
दर्द का सेहरा पहन घूमता है वो दुल्हा बनकर ज़ीनत 
हँसी बयाँ कर जाती है दिल में छुपा दर्द उसका 
---------------------------------कमला सिंह ज़ीनत 

ढूंढते हैं बसेरा आसमान तले मुफ़्लिसी में ज़ीनत  
बेगैरत हो गया है आज इंसान अमीरी में 
-----------------------------कमला सिंह ज़ीनत 
 
अपने माज़ी के वास्ते बिछ गयी मैं बिस्तर की तरह
वो चुभाता रहा नश्तर 'शब्दों' के 'ज़ीनत' शूल की तरह  
---------------------------कमला सिंह ज़ीनत 

Wednesday, 23 October 2013

उस हुनरमंद हाथों ने छूकर मुझको हीरा बना दिया 
जिंदगी के बाज़ार में एहसासों का ज़खीरा बना दिया 
चाहत थी जिंदगी में सहारे की जीने के लिए ज़ीनत को 
वीरान सी किताब-ए-जिंदगी को सुनहरा बना दिया
--------------------------------कमला सिंह ज़ीनत 
 
स्याह रात को बदल दिया चिरागों की रौशनी तले उसने ज़ीनत 
जगमगा गयी जुगनुओं की भांति  जिंदगी भी मेरी 
------------------------------------------कमला सिंह ज़ीनत 

हर एक लम्हें में दिया है निशानी 'उसने' ज़ीनत 
उतार कर खुद में उसको निखर गयी मैं भी 
-------------------------------------कमला सिंह ज़ीनत 

बिछोह के धरोहर को समेट कर जो निकली ज़ीनत 
ताउम्र उन्हें  जिंदा रखने की अब एक जंग है 
-------------------------------कमला सिंह ज़ीनत 

Tuesday, 22 October 2013

सरज़मी पे जिंदगी के अपने यादों को सींच कर ज़ीनत 
लौट आई फिर उसी इंतज़ार के आशियाने में 
-------------------कमला सिंह ज़ीनत



ला पाऊं जो जिंदगी में मुस्कुराट उसके अजी 'ज़ीनत'
शबाब हासिल हो इश्क का मुझको। 
--------------कमला सिंह ज़ीनत
वक़्त की कोख से जन्मा था इश्क भी 'ज़ीनत'
पलकर मुझमें जवां हो गया वह भी शायद
----------------------कमला सिंह ज़ीनत 

waqt ki kokh se janmaa thaa ishq bhi 'zeenat'
palakar mujhme jawaan ho gayaa shaayad 
---------------------------kamla singh zinat  

Tuesday, 8 October 2013

--------ग़ज़ल-----------
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हर ख्वाहिश में मुझे वो बुलाता था 
अपने हसरतों को रोज जगाता था 

इंतज़ार की घड़ियों को अपने 
दिन रात यूँ ही सजाता था 

अरमान अपने यादों के फकत 
चिरागों को जलाता था 

गुजरे वक़्त उन यादों को ज़ीनत 
लम्हे मुझमें बीताता था 

चाहता था क़तर दूँ पर वक़्त के 
पर नज़रें वो चुराता था 
------------कमला सिंह ज़ीनत 

वो ऐसा है,के जिसके वास्ते आँखें तरसती हैं 
उसी के दम से ए जीनत तेरी पलकें महकती हैं 
--------------------------कमला सिंह जीनत 

मुझसे ना कर तू इश्क की बातें-ओ-दिलफरेब
मैं जिसको चाहती हूँ वो बंदा   गज़ब का है 
-----------------------------कमला सिंह जीनत 

एक को जान लिया ,मान लिया,मांग लिया 
अब दुआओं के लिए हाथ उठाना मुश्किल 
-------------------------------कमला सिंह ज़ीनत 

जिसको माँगा था खुदा से मयस्सर आया 
अब दुआ किस के लिए मांगूं रब से 
----------------------कमला सिंह ज़ीनत 

ल मेरा सामने तू मेरा मुकद्दर रख …वक़्त 
आज खुद अपने हाथ से तोड़ दूंगी ……उसे 
---------------------------कमला सिंह ज़ीनत 


कुछ फूल चमन के हम ने भी नहीं तोड़े 
भगवान् का गुजर हो तो ताने न सुने जाएँ 
----------------------------कमला सिंह ज़ीनत 

मेरे रुम्माल से खुशबु न जाये उसके छुवन की 
फ़क़त इतना ही हो जाये तो अह्हा खूब हो जाये 
---------------------------कमला सिंह ज़ीनत 

Monday, 7 October 2013


दोस्त को दोस्त रहने दो 
प्यार को प्यार कहने दो 
हर रिश्ते की पहचान है ज़ीनत 
जिंदगी को जान कहने दो 
-----------------कमला सिंह ज़ीनत  

मुकद्दरों का खेल बहुत कुछ सीखा देता है 
जिंदगी को वक़्त एक खेल बना देता है 
यूँ तो दाँव पे लगता है बहुत कुछ ज़ीनत 
वफाओं की बस्ती एक जेल बना देता है 
---------------------कमला सिंह ज़ीनत 

Sunday, 6 October 2013

हर ख्वाहिश में मुझे वो बुलाता था 
अपने हसरतों को रोज जगाता था 

इंतज़ार की घड़ियों को अपने 
दिन रात यूँ ही सजाता था 

अरमान अपने यादों के फकत 
चिरागों को जलाता था 

गुजरे वक़्त उन यादों को ज़ीनत 
लम्हे मुझमें बीताता था 

चाहता था क़तर दूँ पर वक़्त के 
पर नज़रें वो चुराता था 
------------कमला सिंह ज़ीनत 

गैरों के ख्यालों में यूँ भटकता है वो ज़ीनत 
 कहता है कि फिर भी वो नमाज़ी हो गया है  

-----------------कमला सिंह ज़ीनत 


मेरा ताल्लुक तेरी याद से है 
ताल्लुक तेरे ज़ज्बात से है
रिश्ता तेरी रूह से जुड़ा है ज़ीनत    
ना की तेरी जात से है 
------कमला सिंह ज़ीनत   

Saturday, 5 October 2013

--------ग़ज़ल-------------
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प्यार में यारों दिल बहलाना ठीक नहीं 
बेमतलब का दिल में आना ठीक नहीं 

पल में रंग बदल जाये मस्ताने का 
ऐसा भी बुज़दिल दीवाना ठीक नहीं 

जो भी बीता पल है इश्क मुहब्बत में 
ये किस्सा तो आम सुनाना ठीक नहीं 

इश्क को समझे वो जिसने दिल हारा हो 
बिन समझे कोहराम मचाना ठीक नहीं 

दिल के शीश महल में नाम जो लिखा हो 
जीवन भर वो नाम मिटाना ठीक नहीं 

दिल के अंदर ज़ीनत खूब है खुशहाली 
इस दिल में फिर दर्द छुपाना ठीक नहीं 
--------------------------कमला सिंह ज़ीनत 

pyar mein yaaron dil bahlana thik nahi 
bematlab kaa dil mein aana thik nahi 

pal mein rang badal jaye mastaane ka 
aisaa bhi bujdil deewana thik nahi

jo bhi beeta pal hai ishq muhabbat mein 
ye kissa to aam sunana thik nahi

ishq ko samjhe vo jisne dil haaraa ho 
bin samjhe kohraam machaana thik nahi 

dil ke shish mahal mein naam jo likha ho 
jeevan bhar vo naam mitaana thik nahi 


dil ke andar 'zeenat' khub hai khushhaali 
is dil mein fir dard chhupana thik nahi 
---------------------------kamla singh zeenat 

खामोशियाँ ही रात की जान है 
परछाईयाँ जिस्म की शान है 
ख्याल हैं धरोहर मेरी जिंदगी की 
तसव्वुर हीरे की खान है 
----------कमला सिंह ज़ीनत

दिल का चिराग जला कर रोये 
यादों को सीने में छुपाकर रोये 
तन्हाईयों में ढूँढती हूँ जबाब अपने 
रात को हमसफ़र बना कर रोये
----------कमला सिंह ज़ीनत   

खुदा के लिए कुर्बान सौ जिंदगी भी कम है ज़ीनत 
ये ज़ीस्त भी दी हुई उसी की सौगात है मेरी
-----------------------कमला सिंह ज़ीनत  
हर दाव वो लगाता गया मुझ पर जितने के लिए ज़ीनत 
शिकश्त देखकर अपनी शतरंज की बिसात भूल बैठा
------------------------------कमला सिंह ज़ीनत 
जिंदगी गुजार दी उलझनों के सुलझाने में ज़ीनत 
बचा क्या है जो हिसाब करूँ खुद का जिंदगी से  
--------------------कमला सिंह ज़ीनत 
जिद है जीत उसकी ही होगी ज़ीनत
जिंदगी का दाव हारना मंज़ूर नहीं उसे 
------------------------कमला सिंह ज़ीनत 

Friday, 4 October 2013

इश्क जब आग लगा देता है दिल के अन्दर 
इक अलग दाग लगा देता है दिल के अन्दर 
याद की शक्ल में जब भी वो गुजर जाता है 
बाग़  ही बाग़ लगा देता है दिल के अन्दर
--------------------कमला सिंह ज़ीनत  
पूछा जो आसुओं से क्यों बरस पड़े जमकर 'ज़ीनत' 
कहा वफाओं की तकदीर ही लिखी है सावन सी 
-------------------------------------कमला सिंह ज़ीनत  
दुआओं बद दुआओं की बात करता है दोस्तों की खातिर वो मुझसे 
उन बद दुआओं का क्या जिसकी मैं जिंदा मिसाल हूँ ज़ीनत 
------------------------कमला सिंह ज़ीनत  

Thursday, 3 October 2013

काश समझ पाता वो  जो मुझको ज़ीनत 
इलज़ाम न लगाता खुद के ईमान पर 
------------------कमला सिंह ज़ीनत  

समझाने से हासिल क्या होता है ज़ीनत 
मुझे भी औरों जैसा ही समझ बैठा वो 
-----------------------कमला सिंह ज़ीनत  

दुनिया भर का दर्द समेटा है सीने में वो 
एक मेरे दर्द से बेखबर है वो ज़ीनत 
---------------कमला सिंह ज़ीनत 

हर बात का प्रमाण मांगता है वो इश्क में 
दिल की हर बात जनता है वो इश्क में 
कैसा सौदाई है जानूं ना मैं दीवानी ज़ीनत  
मेरी हर सांस उसकी है जानता है इश्क में
--------------------------कमला सिंह ज़ीनत  

तेरी यादों को दरकिनार करके खुद को भूल गयी ज़ीनत 
ना तुम रहे ना यादें,न वक़्त और न जिंदगी 
----------------------------कमला सिंह ज़ीनत 

कब्र बन जाये जिन यादों की दिलों में ज़ीनत 
बेहतर है आशियाना वो उजाड़ा जाये 
---------------------कमला सिंह ज़ीनत 
लबों की सुर्ख लाली छीन ली किसी ने 
खुश्क होठों पे तबस्सुम कैसा है 
---------------कमला सिंह ज़ीनत 

हर वक़्त उसकी दबिश गूंजती है कानों में ज़ीनत 
जाने वो दबे पाओं क्यों चला जाता है आकर 
------------------------------कमला सिंह ज़ीनत 
शाम का सूरज ढलने लगा है कह कर ज़ीनत 
मुझे इंतज़ार है कल भी तेरा 
-------------------------कमला सिंह ज़ीनत
ढल गया है आँचल किसी का,बिखर गया सा काजल है 
बढ़ रही हैं तन्हाईयाँ हर तरफ,मैला हुआ सा आँचल है
------------------------------------कमला सिंह ज़ीनत 

Wednesday, 2 October 2013

जाती है तेरी महफ़िल से ज़ीनत अब विदा लेकर 
रखना मुझे महफूज़ कल के मिलने तलक
--------------------------कमला सिंह ज़ीनत  
गिरकर संभलना सीखा है मैंने जिंदगी में दोस्तों  
ज़ीनत वो नहीं जो तूफ़ान को देख पतवार छोड़ दे 
------------------------कमला सिंह ज़ीनत  
जुस्तजू भी थी उसकी शायद परेशां भी था दिल मेरा 
ज़ीनत न वो मिला मुझको और न ही खुदा मेरा 
---------------------kamla singh zinat 
गहराई है मेरे आँखों के समुन्दर में ज़ीनत 
एहतियात रख के कदम रखना उनमें 
--------------------------कमला सिंह ज़ीनत 
शुरू होता है जो सिलसिला तुमसे मेरी जिंदगी का ज़ीनत 
ख़त्म ये सफ़र तुम पर हो खुदा खैर करे
----------------------------कमला सिंह ज़ीनत  
शुरू होता है जो सिलसिला तुमसे मेरी जिंदगी का ज़ीनत 
ख़त्म ये सफ़र तुम पर हो खुदा खैर करे
----------------------------कमला सिंह ज़ीनत  
तलबगार हूँ बस तेरी इक नज़र के लिए ज़ीनत 
मैंने सौंप दिया जिंदगी भी अब तो अपनी  
---------------------------------कमला सिंह ज़ीनत  

Tuesday, 1 October 2013

जिंदगी तुमसे से शुरू और खत्म भी तुमसे है
ये बात बताना मुझे मंज़ूर नहीं ज़ीनत 
हर वक़्त वो दीवानों सी  बात करता है ज़ीनत 
जाने के वो कैसी सजा काट रहा है   
-------------------------कमला सिंह ज़ीनत 

उसकी एक मुस्कराहट पर कुर्बान सौ जिंदगी ज़ीनत  
बस उसके एक हाँ का सवाल है केवल  
-----------------------------कमला सिंह ज़ीनत 
इज़हार भी करते हैं वो,इकरार भी"ज़ीनत"
महफ़िल में जाने क्यों वे परेशां से हो गए  
---------------------कमला सिंह ज़ीनत 
परस्तिश की थी हर कदम पे तेरी ए ज़ीनत 
ठोकरें मार कर तूने उसे हीरा बना दिया 
-------------------------------कमला सिंह ज़ीनत 
सवाली बन कर तेरे दर पे जो आई ज़ीनत
तू खुद ही सवाली बन बैठा मेरा खुदा  
----------------------कमला सिंह ज़ीनत  
मेरी महफ़िल सजती है तेरे नाम से ज़ीनत 
वर्ना मेरा होना या न होना किस काम का 
----------------------------------कमला सिंह ज़ीनत 
जिंदगी मैंने तेरे नाम कर दिया खुद को 
बचा क्या है अब मेरे पास ज़ीनत 
----------------------------कमला सिंह ज़ीनत 
तेरे होने से महफ़िल में करार आता है ज़ीनत 
वरना महफ़िल में ए जाना में कौन ठहरेगा 
----------------------kamla singh zinat
उल्फत में फकत खुदा बनाया था जिसको ज़ीनत
सज़दे में मुझको ही मांग लिया उसने  
------------------------कमला सिंह ज़ीनत 

वो आरज़ू था नसीब था मेरा ज़ीनत 
साथ अपने वो ज़ीस्त मेरी ले गया 
-------------कमला सिंह ज़ीनत 

दुआओं में फकत मांग कर देख मुझे 
बाखुदा शहंशाह हो जायेगा तू 
----------------कमला सिंह ज़ीनत