------माँ ----------
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आज मुकम्मल हुआ मेरा धरती पे आना
खुद की शक्सियत और पहचान बनाना
सोचती थी अक्सर तन्हाईयों में खुद को
हुआ पूरा आज सपना मेरा ,अस्तित्व बनाना
माँ तुझे नमन है मेरा दिल से लाना
तेरी कोख से पैदा होकर सम्मान पाना
काश तू देख पाती खुद की आँखों से
धन्य हूँ मैं ,रूप में माँ तुझको पाना
-------------------------कमला सिंह ज़ीनत
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