दिल के जज़्बात
Wednesday, 28 September 2016
यही है आरज़ू दिल की यही दिल का फ़साना है
उसी बचपन की यादों को मुझे फिर से सजाना है
ख़ुदाया ज़िंदगी पिछली मुझे लौटा दुआओं में
मुझे है दौड़ना जी भर,मुझे चरखी नचाना है
---कमला सिंह 'ज़ीनत'
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