Tuesday 3 March 2015

एक बात दिल की 
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दर्दों की ज़रदारी चादर 
ज़ख्मों की फुलदारी चादर 
कोर   कोर पे आहें थीं 
ऎसी थी उजियारी चादर 
----कमला सिंह 'ज़ीनत'

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