Monday, 30 September 2013

सिर्फ तुम

सिर्फ तुम  
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एक एहसास तुम्हारा 
प्यारा सा एहसास 
अचानक आये जिंदगी में मेरी 
एक शीतल बयार  
झोंका हवा का 
खुश्बू से भरपुर
एक सुकून के साथ 
रिमझिम बरसती बूंदों की मानिंद 
महका  गए दामन मेरा 
भीगा दिया आँचल मेरा 
पडा था बरसों से जो 
एक ज़िंदा लाश की तरह
दुनिया की  …चकाचौंध से दूर 
तिश्नगी लिए लबों पे 
दो बोल मीठे सुनने को आतुर 
मुन्तजिर बैठी 
पथरायी आँखे लिए 
ऐसे में तुम आये 
जिंदगी लिए 
एक दुआ बनकर 
एक सुकून की छांह लिए 
भिगो दिया दामन मेरा 
भर दिया जोश उल्फत का 
तुम्हारा वो इज़हार 
जिंदगी दे दिया तुमने 
मुझको …. मुझको 
हाँ तुम मेरे हो 
मेरी दुआ 
मेरी इबादत 
मेरा प्यार 
मेरी जिंदगी 
कभी ना जाना छोड़कर मुझे 
यूँ बेवा बनाकर 
बहुत प्यार करती हूँ तुमसे 
खुद से जादा 
जिंदगी हो तुम 
बस जिंदगी 
---------------कमला सिंह ज़ीनत  
फुरकत में चला आया फिर ख्याल उसका 
हमने में तो कफ़स में जकड़ रखा था खुद को ज़ीनत 
-------------------------------------कमला सिंह ज़ीनत 
होता नहीं कोई खुदा किसी के लिए ज़ीनत 
मगरूर है वो खुद को खुदा समझ बैठा 
--------------------------कमला सिंह ज़ीनत 

इल्म जो होता बरबादियों का मुझको,खलिश भी ना होती 
फ़िदाई जो होता ज़ीनत तो रुसवाई न होती मेरी  
---------------------------कमला सिंह ज़ीनत 

Sunday, 29 September 2013

कह गया था ज़ीनत लौटा दूँगा जान तेरी 
आज तो धड़कने भी गिरवी हैं पास उसके 
----------------------कमला सिंह ज़ीनत 

उकेरी थी कई लकीरें ज़ीनत यूँ ही खाली केनवास पर 
बाखुदा शक्ल वो उसकी लेता गया 
-------------------कमला सिंह ज़ीनत 

बेख़ौफ़ करती थी गुफ्तगू परछाईयों से अपने 
आज इज़ाज़त लेती हूँ ज़ीनत,अपनी तन्हाईयों से  
-------------------------कमला सिंह ज़ीनत 

 रिमझिम बरसती बूंदों ने महका दिया दामन 
खुशियाँ खुद-बखुद चली आयीं ज़ीनत मेरे आँगन 
----------------------------कमला सिंह ज़ीनत 

वो मेरे ज़ेहन में बेख़ौफ़ फिरा करता है ज़ीनत 
रूह को  क़ैद किये रहता है दीवाना वो   
------------------------कमला सिंह ज़ीनत 
ख्वाबों आकर बता गया वो सांसों में अपने बसा गया वो
भटकता था वीरान गलियों में मंजिल मुझको बना गया वो
साँसे महकती हैं खुशबू से मेरी चमन की रानी बना गया वो
प्यासी थी रूह बरसों से जिसकी तिश्नगी अपनी बुझा गया वो
बेचैनियों पे थी बादशाहत जिसकी सुकून मेरा मुझसे चुरा गया वो
जिंदगी ए जहां का राजा अकेला ज़ीनत,रानी दिल का बना गया वो
-------------------कमला सिंह ज़ीनत
बिक गयी मैं तेरी शिद्दत की तड़पन से
वरना मेरी कोई भी कीमत नहीं होती 
---------------------कमला सिंह ज़ीनत 

गयी थी इबादत के लिए खुदा के घर  
सज़दे में वो ज़ीनत मुझे  मिल गया
--------------------------कमला सिंह ज़ीनत  

उसकी दीवानगी का आलम ना पूछो ज़ीनत  
वो याद करता है जब भी कराह उठती हूँ 
---------------------------कमला सिंह ज़ीनत 

रुसवाईयों के डर से छुपती रही ज़ीनत 
सरे आम वो इजहारे वफ़ा कर गया 
------------------------कमला सिंह ज़ीनत 
बिक गयी मैं तेरी शिद्दत की तड़पन से
वरना मेरी कोई भी कीमत नहीं होती 
---------------------कमला सिंह ज़ीनत 

Saturday, 28 September 2013

मुट्ठी में जो बंद कर लीं लकीरें मेरी 
साँसे भी कब्जे में हो गयी उसके 
-------------कमला सिंह ज़ीनत
उसकी चाहत में मेरी चाहत में,फर्क इतना सा था मेरे यारों 
वो मुझे आसमान करता रहा,मैं उसे चाँद चाँद कहती रही 
----------------------------------------कमला सिंह ज़ीनत 
Uski chahat me meri chahat me,farq itna sa tha mere yaaro Wo mujhe aasmaan kartaa raha,main use chaand chaand kahti rahi
----------------------------------kamla singh zinat
उल्फत में अक्सर अच्छा होता है 
जिंदगी का ख्वाब सच्चा होता है 
वक़्त की बात कह नहीं सकते
रफ़्तार धडकनों का कच्चा होता है 
-----------------कमला सिंह ज़ीनत  
नियाज़ में जिसके नर्गिस बन जाऊं 
ज़ीनत ऐसी तकदीर कहाँ 
---------------कमला सिंह ज़ीनत
किसी ने मांग लिया दुआओं में मुझे 
देता रहा आवाज़ सदाओं में मुझे 
धुंधला था चेहरा जिसका ज़ेहन में 
बना लिया ज़ीनत,खुदा वफाओं में मुझे
--------------------------कमला सिंह ज़ीनत  
एहतियात बरती थी इश्क में,दबिश अपनी वो दे गया 
नज़रों का बस सवाल था ज़ीनत वो जान मेरी ले गया 
-----------------------------------------कमला सिंह ज़ीनत 

Thursday, 26 September 2013

प्यार की राह पे फिर उसने बुलाया है मुझे 
बाद मुद्दत के कई गीत सुनाया है मुझे 
तितलियों आओ ज़रा साथ चमन तक मेरे 
मुन्तजिर बैठा है वो सबने बताया है मुझे 
---------------------कमला सिंह ज़ीनत 

प्यार जो करना ना आये तो,बेमकसद तू प्यार ना कर 
रिश्ता रिश्ता होता है जी,रिश्ते को बाज़ार ना कर 
सौदाकार हो तुम फितरत से ,ऐसा है तो रहने दो 
प्यार तुम्हारे बस का नहीं है,रहने दो व्यापार ना कर
---------------------------------कमला सिंह ज़ीनत 

वो कभी भी खफा नही होगा 
अब वो मुझसे जुदा नहीं होगा 
हो तो सकता है आसमान कोई 
उसके जैसा खुदा नहीं होगा 
-----------कमला सिंह ज़ीनत  

Wednesday, 25 September 2013

नसीब अपना मुकम्मल किया दुआओं से 
ये और बात है किस्मत में कुछ नहीं था लिखा 
----------------------------------कमला सिंह ज़ीनत 

Naseeb apna mukammal kiya duaao se Ye aur baat hai kismat mein kuchch nahi tha likha.
----------------------------kamla singh zeenat

tum

कल मैं तुमसे मिली 
अपनी जिंदगी से मिली 
तुम मेरी जिंदगी हो ,यही कहना चाहते थे  ना तुम भी  ?
मुझसे 
शायद ये बात तुम्हें मालूम नहीं तुम्हें 
लेकिन 
हकीकत यही है 
या यूँ समझ लो 
मैं तुम्हारी जिंदगी हूँ 
उत्साह और जीवन से भरपूर 
मैंने तुम्हारी आँखों में प्यार देखा 
वो शिद्दत देखी 
जो तुमने १ बरस में साधा है 
बेशुमार प्यार था आँखों में तुम्हारे 
मेरे लिए। ………। 
कितनी हसरतें,,कितने ख्वाब थे 
जो तुमने देखे थे मेरे लिए 
रूबरू देखा मैंने 
वो सुकून ,वो एहसास 
जो तुम्हारे चेहरे से साफ़ झलक रहा था 
मुझसे मिलने के बाद 
तुम्हारी जुबान कह नहीं पा रहे थे 
लेकिन मैं समझती हूँ तुम्हारी मौन भाषा 
चाहे तुम ना कहो 
समझती हूँ मैं तुमको 
तुम्हारी धडकनें गवाही दे रही थी। ……. 
सीने शोरे था। …… जो शायद 
अपनी मौजूदगी का एहसास करा रहे थे 
क्यों नहीं कह पाए तुम ?
की तुम्हारे सांसों में मैं बसती हूँ ?
लेकिन तुम्हारे प्यार की पाकीजगी को समझा मैंने 

ये भी जाना की प्यार क्या है। ………. 
जिंदगी क्या है। ………. 
एहसास और सुकून क्या है ………।
पा लिया मैंने सब कुछ 
अपने जीवन में 
जानते हो कहाँ ?
तुम में ……………. 
तुम्हीं मेरी जिंदगी हो 
तुम्ही मेरी बंदगी 
मेरा प्यार। … 
मेरी इबादत …. 
सब कुछ 
सब कुछ। ……………. 
-कमला सिंह ज़ीनत  

----------ग़ज़ल------------
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हमारा दामन जो भर गया है 
किसी का चेहरा उतर गया है 

मेरी बलन्दी से जलने वाला 
हसद लपेटे ही मर गया है 

जो मेरी कश्ती भंवर में उतरी
तो  पूरा दरिया ठहर गया है 

बताया जिसने की हूँ मुसाफिर 
सुना है मैंने की घर गया है 

अभी तो पूरी ग़ज़ल सुनाती 
वो एक मिसरे से डर गया है 

जो सब्जा सब्जा रहा है ज़ीनत 
वो पत्ता पत्ता उजड़ गया है 
----------------कमला सिंह ज़ीनत 

gazal

------------------ग़ज़ल---------------
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दाग ही दाग दे गया है वह 
मुझमें एक आग दे गया है वह 

डंस रहा है मुझे मुसल्सल जो 
ऐसा इक नाग दे गया है वह 

ज़हर इतना चढ़ा है तीखा सा 
मुंह तलक झाग दे गया है वह 

एक गिद्ध को बैठाकर काँधे पर 
हाथ में काग दे गया है वह 

काफिया तंग है तौबा तौबा 
बेसुरे राग दे गया है वह 

लिख तू ज़ीनत ग़ज़ल तो जानूं मैं 
बाज़ी बेलाग दे गया है वह
-------------------कमला सिंह ज़ीनत  

gazal

---------ग़ज़ल ------------
---------------------------------
पूरे एहसास में ढल गए 
हम किसी खास में ढल गए 

बहते दरिया को छूते ही हम 
मुस्तकिल प्यास में ढल गए 

इतनी शिद्दत से चाहा के हम 
उसके ही सांस में ढल गए

रोज़ आँखों को उसकी कमी 
उसकी ही आस में ढल गए  

यूँ तो दुनिया बुलाती रही 
और हम पास में ढल गए 

वो गुजरता है ज़ीनत यह सुन 
राह के घास में ढल गए 
---------------कमला सिंह ज़ीनत 
--------------ग़ज़ल -----------------------
------------------------------------------------
वो खड़ा रहता है हर वक़्त कलंदर की तरह 
मेरी आँखों के मुक़ाबिल में समुन्दर की तरह 

मुझको समझाता है जीने का हुनर कैसा हो 
मुझमें रहता है वो दिन रात पयम्बर की तरह 

दर्द ही दर्द मेरे सीने में रखता गुजरे 
नोंक चुभती फिरे अन्दर मेरे खंज़र की तरह 

नींद आएगी यक़ीनन यह गुमाँ है मुझको 
बिछ रहा है कोई इक खुशनुमा बिस्तर की तरह

दिल के बाज़ार में ज़ीनत जो खड़ा है खामोश 
भीड़ के बीच भी क्यूँ लगता है दिलवर की तरह 
-------------------------------कमला सिंह ज़ीनत 
२५/०९/१३ 

Tuesday, 24 September 2013

मैं जिस दयार से आई हूँ झोली भर के हसरत की 
वहाँ यूँ तो बहुत से लोग फरयादी से बैठे हैं 
------------------------------कमला सिंह ज़ीनत 

Main jis dayaar se aayi hun jholi bhar ke hasrat ki Wahaan yun to bahut se log faryadi se baithe hain.
----------------------------kamla singh zeenat
मैं एक बूंद हूँ शबनम की,ठहरी हूँ लबे गुल पर 
ज़रा सूरज निकल आता तो मैं भी चमचमा उठती 
--------------------------------------कमला सिंह ज़ीनत 

Main aik buund hun shabnam ki thahri hun labe gul par Zara suraj nikal aataa to main bhi chamchama uthti
----------------------------------kamla singh zeenat
उसे हम खुद से ज्यादा चाहते हैं 
यही मंजिल के सारे रास्ते हैं 
वो मुझ पर बादलों सा छा गया है 
तो हम भी मोर बनकर नाचते हैं 
---------------कमला सिंह ज़ीनत 
महका है फूल फूल चमन बेमिसाल है 
ऐसे में बोल बाद ए सबा क्या मलाल है 
-------------------कमला सिंह जीनत 

Mahka hai phool phool chaman bemisaal hai
Aise me bol baad e saba kya malaal hai

Monday, 23 September 2013

इन्तेहां देख प्यार का  उसके हैरान थी मैं 
कितना करता है मुझसे प्यार परेशां थी मैं 
----------------------------कमला सिंह ज़ीनत 

Thursday, 19 September 2013

मुद्तों के बाद जिंदगी मुस्कुराने लगी है 
दर्द भी अब सुकून पाने लगी है
थाम कर हाथ उस नयी मंजिल की ओर 
हसरतें जिंदगी की मुझको ले जाने लगी है 


-------------------------कमला सिंह ज़ीनत 
तुम्हारी आँख में मंज़र नहीं सुकून जो दे 
मैं एक खाक हूँ पलकों से बस लगा के देख
------------------------------कमला सिंह ज़ीनत  
उसकी याद की चिड़िया वाह कितनी प्यारी है 
फ़िक्र की दुलहन अक्सर ज़ेहन ने उतारी है
वो घमंड का पुतला, सब्र की मैं शहजादी 
बात है फ़क़त इतनी और जंग जारी है
--------------------------कमला सिंह ज़ीनत   

मेरे अन्दर एक समुन्दर बहता है 
नमकीन सा 
प्यासे हो 
जाओ 
नदी की तरफ 
एक घूँट भी नहीं उतार नहीं सकते तुम 
गले से नीचे 
गल जाओगे 
पिघल जाओगे 
मेरे अन्दर है
नमकीन पानी 
मेरे अन्दर 
समंदर बहता है  
----------कमला सिंह ज़ीनत 

Wednesday, 18 September 2013

-ग़ज़ल

----------------ग़ज़ल--------------------
--------------------------------------------------------
कौन भला याँ रह पायेगा,कौन यहाँ पर रहता है 
सूना सा वीरान ये दिल है,मन पागल भी कहता है 

मेरी यह तकदीर लिखी है,मुश्किल के औरांकों पर 
चीर के मेरे दिल को यारों,दर्द का दरिया बहता है 

मौत नही आती है जब तक,ज़ुल्म ज़माने भर के हैं 
जिस्म में कोई जान नहीं है,फिर भी सब कुछ सहता है 

ताज़महल तामीर किया था,मैंने भी इक ख्वाब तले 
नींद गयी तो फिर नहीं आई,सारा मंज़र ढहता है 

मेरे मालिक सब्र अता कर,ज़ीनत को इस मुश्किल में 
आज मेरा दिल,फिर उस जानिब,जाने क्यों कर बहका है 
---------------------------------------कमला सिंह ज़ीनत 

ग़ज़ल -

--------------ग़ज़ल ----------------
---------------------------------------------
वो मेरा है,वो मेरा मुझको बुलाता होगा 
अपने ख्वाबों में,मेरी याद सुलाता होगा 

जब भी इक पल के लिए,मुझको भुलाता होगा 
अपने ही आप को,ऐसे में,रुलाता होगा 

मेरी आमद के लिए,पलकों से,वो चुन-चुनकर 
आसमां तारों से,हर रोज़,सजाता होगा 

वो मेरी याद के,साये से,लिपटने वाला 
अपने ही सीने में,इक दर्द बढ़ाता होगा 

मैं ज़माने की निगाहों से रहूँ पोशीदा 
दिल के खाली किसी कमरे में छुपाता होगा 

उंगलियाँ फेर के,ज़ीनत वो मेरी मूरत को, 
जाफ़रानी किसी मिट्टी से बनाता होगा 
----------------------कमला सिंह ज़ीनत  

Monday, 16 September 2013

चाँद बहुत ही दूर है लेकिन चाँद पे चलकर देखेंगे 
चाँद की मिटटी के सुरमे को आँख पे मल कर देखेंगे 
या तो चांदनी बनकर यारों बिखरेंगे गुलशन गुलशन 
ऐसा गर मुमकिन ना हुआ तो चाँद में ढलकर देखेंगे 
-------------------------------------------कमला सिंह ज़ीनत 

Chaand bahut hi duur hai lekin chaand pe chalkar dekhenge Chaand ki mitti ke surme ko aankh pe mal kar dekhenge Ya to chaandni bankar yaro bikhrenge gulshan gulshan Aysa gar mumkin na huaa to chaand me dhalkar dekhenge.
--------------------------------kamla singh zeenat

ग़ज़ल

मैं तो इस पार हूँ उस पार है जाना मुझको 
जिंदगी अब मुझे हर बार सताना मुझको 

मौत बरहक़ है या आनी ही तो आने दे इसे
छोड़ दे मौत के झाँसे से डराना मुझको 

रूह की शक्ल में आ जाउंगी मालूम है ये 
कल पतंगों  सा अगर दिल हो,उड़ाना मुझको 

हश्र का वक़्त जो आ जाए तो पल-पल मेरा 
तुम सरे आम ज़माने के दिखाना मुझको 

ए लहद चैन से रह पूरा महल बनने तक 
दफ्न हो जाऊं करीने से तो खाना मुझको 

दिल के खाने में है इक फ़र्ज़ सवाली बनकर 
ए खुदा चैन से बैठूं तो बुलाना मुझको 
---------------------कमला सिंह ज़ीनत  
यकीं करते हो ईश्वर पर,तो बोलो क्यूँ भला तुझ पर
मुसलसल गुमशुदा रहने का ये अज़ाब ठहरा है 
--------------------------------कमला सिंह ज़ीनत  

yaqee'n karte ho ishwar par to bolo kyun bhala tujh par
musalsal gumshuda rahne ka ye azaab thahra hai
--------------------------------kamla singh zinat 
माँ शब्द है सबसे प्यारा 
जिससे है संसार हमारा 
कोख से जिसके पैदा होकर 
जीवन है सम्पूर्ण हमारा
 
तेरे वात्सल्य की छाया में माँ 
बचपन है ज़न्नत से प्यारा 
तेरे एक स्पर्श से हमको 
मिलता जीवनदान है सारा
 
बिन बोले समझती है दिल को 
कर देती तू दुखों से किनारा 
खुद को भुखा रहकर भी माँ तू 
भरती है खाली पेट हमारा

सृष्टि की जननी है तू ही 
धरती पर वरदान है प्यारा 
आविष्कार है कुदरत का तू 
नायाब तोहफ़ा प्यारा-प्यारा 

न होती तो हम अनाथ हैं 
तेरा साथ है हमको प्यारा 
छन में तू दुःख हर लेती 
लबों पे देती मुस्कान प्यारा  

लोग पूजते देवी देवता 
मैं पुजू चरण तुम्हारा 
तेरे  लाल का दर्जा पाकर 
जीवन है जन्नत से प्यारा 

ये है अहोभाग्य हमारा 
ये है अहोभाग्य हमारा 
-----------कमला सिंह ज़ीनत 

Sunday, 15 September 2013

चाँद बादल से जब निकलता है 
हर घड़ी साथ -साथ चलता है 

एक नयी सुब्ह रोज़ आती है 
इस तरह दिल मेरा बहलाता है 

शाम होते ही वह जवां सूरज 
मेरे पहलु में रोज़ ढलता है 

हसरतों के चिरागदानों में 
आरज़ुओं का दीप जलता है 

फिक्र के लान पर वो शाहज़ादा 
हाथ बांधे हुए टहलता है 

दिल में हर वक़्त तेरी वो ज़ीनत 
धडकनों सा यूँ ही मचलता है 
------------कमला सिंह ज़ीनत 
ताज़ा --------- गजल 
--------------------------------
इश्क में तेरे क्या हो गयी 
मुस्तकिल एक दुआ हो गयी 

एक चमन की मोहब्बत में मैं 
हाय बाद-ए-सबा हो गयी 

बनके तितली सी उड़ते हैं हम 
एक मोकम्मल हवा हो गयी 

मेरी खुशियों को यूँ देख कर 
जिंदगी भी फ़िदा हो गयी 

आज ज़ीनत ग़ज़ल आपकी 
सुरक रंग-ए-हीना हो गयी 
------------कमला सिंह ज़ीनत 
ग़ज़ल सुन ने वाले ग़ज़ल सुन हमारा 
इसे फिक्र के आसमां से  उतारा 

हमारी ग़ज़ल में है खुशबू हमारी 
किसी ने न परखा किसी ने संवारा 

मेरा लहजा नाज़ुक है फिर भी ए यारों 
हर एक शेर पत्थर जिगर पे उभारा 

मैं  सहरा की तपती हुई रेत पर हूँ 
वही रेत दरिया ,वही है नज़ारा 

ए ज़ीनत नहीं दम के आवाज़ दूँ मैं 
मोसल्सल रहे दम उसे है पुकारा 
-------------------कमला सिंह ज़ीनत 

Thursday, 12 September 2013


हम इधर जाएँ या उधर जाएँ 
आप ही बोल दो किधर जाएँ 
अपनी ख्वाहिश तमाम हो तो कहो 
गर ये मुमकिन नहीं तो मर जाएँ 
----------------कमला सिंह ज़ीनत 

ham idhar jaayen ya udhar jaayen
aap hi bol do kidhar jaayen
apni khwahish tamaam ho to kaho
gar ye mumkin nahi to mar jaayen
-----------------kamla singh zeenat....
साहिल पे तनहा बैठे हो,दिल में मजमा लाखों का 
सजदे में एक भीड़ गिरी है,खूब है जलवा आँखों का 
-----------------------------------कमला सिंह ज़ीनत 

sahil pe tanha baithe ho,dil me majma laakhon ka
sajde me ek bheed giri hai,khoob hai jalwa aankhon ka
---------------------------------kamla singh zeenat
---------------ग़ज़ल------------
-----------------------------------
जब भी ये दिल किताब होता है
लम्हा लम्हा हिसाब होता है

जो मेरे दिल में उतर जाता है
आदमी लाजवाब होता है

जिंदगी मेरी हो जिससे रौशन
वो मेरा आफताब होता है 

उस चमन से मुझे मुहब्बत है
जिस चमन में गुलाब होता है

होश खोना,संभलना सुब्हो-शाम
कितना ज़ालिम शबाब होता है

खुश हूँ ज़ीनत के सिर्फ मेरे लिए
कोई तो माहताब होता है
---------------कमला सिंह ज़ीनत
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--------------ग़ज़ल -------------------------
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दर-दर तुम्हारे वास्ते आवारा फिरे हम
दुनियां ए आसमान में इक तारा फिरे हम 

तुझको ही जीत लेने की चाहत में ये हुआ 
जीती हुई बाज़ी रही और हारा फिरे हम 

आये थे हज़ारों लिए इंसानों सा चेहरा 
ए बुत , तुम्हारे नाम पे बस वारा फिरे हम 

खुशियों की इसी शहर में,सब लोग हैं मेरे
किस्मत की रही बात के ,बेचारा फिरें हम

बरसात के मौसम ने भी मुझको नहीं बदला
हर बूंद रही मीठी, मगर खारा फिरें हम

ज़ीनत चलो हुआ सो हुआ ज़िक्र क्या करें
आवारगी लिखी थी तो आवारा फिरें हम
-------------------कमला सिंह जीनत

Monday, 2 September 2013

दोस्ती

मेरे क्यारियों में थे रंग-बिरंगे फूल दोस्ती के 
बहुत ही शानदार और  अनमोल दोस्ती के 
जो एक भी फूल मुरझा गया जिंदगी में मेरे 
समझ लेना वजूद भी मिट गयी दोस्ती के  
-----------------------------कमला सिंह ज़ीनत 

mere kyariyon me the rang birange phool dosti ke 
bahut hi shandaar aur anmol dosti ke 
jo ek bhi phool murjha gaya zindgi mein mere 
samjh lena wajood bhi mit gayi dosti ke 
------------------------------kamla singh zeenat 

----------मेरे किताब का एक पन्ना
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ये भी आदाब मुहब्बत ने गंवारा न किया
उसकी तस्वीर सीने से लगायी न गयी
देखते ही देखते खो गया सब कुछ 
बर्बादी पे अपने आंसू भी बहाए न गए
खाक में मिल गए ,दिल के अरमां सभी
ये कहानी भी मुझसे ,सुनाई ना गयी
लुटनेवाले ने लुटा इस तरह की
दिल की दुनिया फिर से बसाई ना गयी
-----------------------कमला सिंह ज़ीनत

गुमान है खुद पे मुझे ,बेशुमार प्यार भी है 
मैं खुद की यार हूँ,और खुद ही ,मेरा यार भी है 
----------------------------------कमला सिंह ज़ीनत 
Gumaan hai khud pe mujhe,be shumaar pyaar bhi hai Main khud ki yaar hun,aur khud hi mera yaar bhi hai
-------------------------------------kamla singh zeenat

Sunday, 1 September 2013

मेरे जिंदगी का हसीन लम्हा

मेरी जिंदगी का हसीन लम्हा था मेरा वो पल 
हाँ सच। …… 
बहुत खुबसूरत 
बेहद प्यारा ,बेहद हसीन 
एक यादगार पल 
मेरी जिंदगी का। …………… 
हाँ भई मेरी जिंदगी का 
धीरे धीरे जब वो पल करीब आ रहा था 
धड़कने मेरी बढ़ती जा रही थी 
ख़ुशी से। ……। 
आज अरमान पूरा होनेवाला था 
मेरा। ………… 
हाँ मेरा अरमान ,मेरी चाहत ,मेरी इच्छा 
आँखे बार-बार दरवाजे की तरफ उठ रही थी 
इंतज़ार था मुझे 
इंतज़ार था मुझे मेरे सपनों का 
जिसको पिरोया था मैंने 
बड़े जतन से 
उसमें मेरे दुःख,दर्द,और प्यार 
सब कुछ पिरोया था ,…… 
तब जाकर पूरी हुई थी वो माला 
और आज। ……………. 
और आज उस माला की तारीफ़ का दिन था 
जिसे मैंने एक एक लम्हे को लेकर पिरोया था 
शिद्दत से सभी लम्हों को जिया था मैंने 
हाँ। …………। याद है वो पल 
मेरा हर वो पल 
जिसे अपने दिल के आशियाने में 
धरोहर के रूप में रखा था 
या यूँ कहिये आज भी रखा है 
आखिर वो पल भी आया 
बेसब्री से इंतज़ार था जिसका 
मेरी खुशियों का पल 
मेरे दरवाजे पे दस्तक जो दे रही थी 
मान ,सम्मान और इज्ज़त के साथ 
वो आई मेरी जिंदगी का पैगाम लेकर 
एक नयी उम्मीद और
एक नयी रौशनी के साथ 
मेरा दामन खुशियों से भर गयी 
जाते-जाते मेरी जिंदगी को 
एक नया जोश और उत्साह देकर 
एक नया मोड़ देकर 
एक नया सन्देश देकर 
खुशबू से सरोबार करती हुई 
मेरा दामन 
जिंदगी की सबसे बड़ी दौलत 
मेरे हाथों में सौप कर 
मेरी जिंदगी को इतिहास बनाकर 
प्यारी मुस्कान देकर 
वो चली गयी। ……………. 
मेरी जिंदगी में फिर से 
वापस नयी उम्मीद लेकर 
नयी रोशनी लेकर 
आने के लिए। …………… 
--------------------कमला सिंह ज़ीनत 

-माँ ----------

------माँ ----------
==========
आज मुकम्मल हुआ मेरा धरती पे आना 
खुद की शक्सियत और पहचान बनाना 
सोचती थी अक्सर तन्हाईयों में खुद को 
हुआ पूरा आज सपना मेरा ,अस्तित्व बनाना 

माँ तुझे नमन है मेरा दिल से लाना 
तेरी कोख से पैदा होकर सम्मान पाना 
काश तू देख पाती खुद की आँखों से 
धन्य हूँ मैं ,रूप में माँ तुझको पाना  
-------------------------कमला सिंह ज़ीनत