मेरी नयी पुस्तक जिसका विमोचन ७ फ़रवरी को हुआ उस पुस्तक की एक ग़ज़ल हाज़िर करती हूँ
-----------------------------------------------------------------------------------------------------
ज़िंदगी अपनी गुज़ारी है सुख़नवर की तरह
खुद को रखती हूँ करीने से मैं ज़ेवर की तरह
जब कोई शख़्स कभी मुझसे बद-कलाम करे
मैं मुख़ातिब तभी हो जाती हूँ तेवर की तरह
हम इसी भीड़ में चलते हैं मगर होश लिए
कौन मिल जाए कभी मुझसे भी अजगर की तरह
उससे मिलने की बराबर मुझे होती है तलब
मुझसे मिलता है मेरा अपना भी दिलवर की तरह
जब जब भी सुकूँ चाहिए होता है मुझे ऐसे में
मैं बिछा देती हूँ उस प्यार को चादर की तरह
ये है 'ज़ीनत' का अलग रंग ज़माना सुन ले
पास आये ना कोई बनके यूँ नश्तर की तरह
-----------कमला सिंह 'ज़ीनत'
We want listing your blog here, if you want please select your category or send by comment or mail Best Hindi Blogs
ReplyDeleteSure sir , thanku
DeleteNice Articale Sir I like ur website and daily visit every day i get here something new & more and special on your site.
ReplyDeleteone request this is my blog i following you can u give me some tips regarding seo, Degine,pagespeed
www.hihindi.com