Thursday, 12 September 2013


हम इधर जाएँ या उधर जाएँ 
आप ही बोल दो किधर जाएँ 
अपनी ख्वाहिश तमाम हो तो कहो 
गर ये मुमकिन नहीं तो मर जाएँ 
----------------कमला सिंह ज़ीनत 

ham idhar jaayen ya udhar jaayen
aap hi bol do kidhar jaayen
apni khwahish tamaam ho to kaho
gar ye mumkin nahi to mar jaayen
-----------------kamla singh zeenat....

1 comment:

  1. उम्दा लिखा है । तीन-चार छोटी रचनाओं को मिलकर एक जगह पोस्ट करने से ज्यादा अच्छा लगेगा, मेरे हिसाब से । पाठक को एक ही पोस्ट में बहुत पढने को मिल जायेगा ।
    और हो सके तो कमेन्ट के लिए word verification हटा दें, पाठको को राय देने में सुविधा होगी ।

    आपके ब्लॉग को ब्लॉग"दीप" में शामिल किया गया है । जरुर पधारें ।

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