ham idhar jaayen ya udhar jaayen aap hi bol do kidhar jaayen apni khwahish tamaam ho to kaho gar ye mumkin nahi to mar jaayen -----------------kamla singh zeenat....
उम्दा लिखा है । तीन-चार छोटी रचनाओं को मिलकर एक जगह पोस्ट करने से ज्यादा अच्छा लगेगा, मेरे हिसाब से । पाठक को एक ही पोस्ट में बहुत पढने को मिल जायेगा । और हो सके तो कमेन्ट के लिए word verification हटा दें, पाठको को राय देने में सुविधा होगी ।
आपके ब्लॉग को ब्लॉग"दीप" में शामिल किया गया है । जरुर पधारें ।
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