ख्वाबों आकर बता गया वो
सांसों में अपने बसा गया वो
भटकता था वीरान गलियों में
मंजिल मुझको बना गया वो
साँसे महकती हैं खुशबू से मेरी
चमन की रानी बना गया वो
प्यासी थी रूह बरसों से जिसकी
तिश्नगी अपनी बुझा गया वो
बेचैनियों पे थी बादशाहत जिसकी
सुकून मेरा मुझसे चुरा गया वो
जिंदगी ए जहां का राजा अकेला
ज़ीनत,रानी दिल का बना गया वो
-------------------कमला सिंह ज़ीनत
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