प्यार की राह पे फिर उसने बुलाया है मुझे
बाद मुद्दत के कई गीत सुनाया है मुझे
तितलियों आओ ज़रा साथ चमन तक मेरे
मुन्तजिर बैठा है वो सबने बताया है मुझे
---------------------कमला सिंह ज़ीनत
प्यार जो करना ना आये तो,बेमकसद तू प्यार ना कर
रिश्ता रिश्ता होता है जी,रिश्ते को बाज़ार ना कर
सौदाकार हो तुम फितरत से ,ऐसा है तो रहने दो
प्यार तुम्हारे बस का नहीं है,रहने दो व्यापार ना कर
---------------------------------कमला सिंह ज़ीनत
वो कभी भी खफा नही होगा
अब वो मुझसे जुदा नहीं होगा
हो तो सकता है आसमान कोई
उसके जैसा खुदा नहीं होगा
-----------कमला सिंह ज़ीनत
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