Wednesday, 31 July 2013

वक़्त और जिंदगी

वक़्त ने पूछा जिंदगी से तू रोती क्यों है 
जिंदगी ने कहा तू दुःख देता क्यों है 

आती हूँ ख़ुशी में इठलाती तुझ तक 
तू मुझसे पल में छीन लेता क्यों है

इंसान हूँ भगवान् नहीं,शीशा हूँ पत्थर नहीं 
सब कुछ देकर छन में लेता क्यों है 

कहा हसकर वक़्त ने तू इंसान है मानता हूँ मैं 
हर चीज़ का एक समय है ये जानताहूँ मैं  


सब कुछ छंन्भंगुर है लुट जायेगा एक दिन 
आनी जानी हैं चीजें तू शोक मनाता क्यों है  
----------------------------------कमला सिंह जीनत 
                                          ०१/०८/१३ 

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