वक़्त ने पूछा जिंदगी से तू रोती क्यों है
जिंदगी ने कहा तू दुःख देता क्यों है
आती हूँ ख़ुशी में इठलाती तुझ तक
तू मुझसे पल में छीन लेता क्यों है
इंसान हूँ भगवान् नहीं,शीशा हूँ पत्थर नहीं
सब कुछ देकर छन में लेता क्यों है
कहा हसकर वक़्त ने तू इंसान है मानता हूँ मैं
हर चीज़ का एक समय है ये जानताहूँ मैं
सब कुछ छंन्भंगुर है लुट जायेगा एक दिन
आनी जानी हैं चीजें तू शोक मनाता क्यों है
----------------------------------कमला सिंह जीनत
०१/०८/१३
०१/०८/१३
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