ज़र्रा तमाम देख लो निखरी हुई हूँ मैं
ग़ज़लों के ज़ुल्फें नाज़ पे बिखरी हुई हूँ मैं
--------------------कमला सिंह ज़ीनत
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zarra tamaam dekh lo nikhri hui hun main
gazlon ke julfen naaz pe bikhri hui hun main
--------------------kamla singh zeenat
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