Thursday, 24 October 2013

अजीब आलम है दिल का उसके शबे फुरकत में ज़ीनत 
अक्स भी उभरते,मिटते रहते हैं पानी के बुलबुलों के मानिंद  
--------------------------------कमला सिंह ज़ीनत 

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