--------ग़ज़ल-----------
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हर ख्वाहिश में मुझे वो बुलाता था
अपने हसरतों को रोज जगाता था
इंतज़ार की घड़ियों को अपने
दिन रात यूँ ही सजाता था
अरमान अपने यादों के फकत
चिरागों को जलाता था
गुजरे वक़्त उन यादों को ज़ीनत
लम्हे मुझमें बीताता था
चाहता था क़तर दूँ पर वक़्त के
पर नज़रें वो चुराता था
------------कमला सिंह ज़ीनत
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