Monday, 16 September 2013

माँ शब्द है सबसे प्यारा 
जिससे है संसार हमारा 
कोख से जिसके पैदा होकर 
जीवन है सम्पूर्ण हमारा
 
तेरे वात्सल्य की छाया में माँ 
बचपन है ज़न्नत से प्यारा 
तेरे एक स्पर्श से हमको 
मिलता जीवनदान है सारा
 
बिन बोले समझती है दिल को 
कर देती तू दुखों से किनारा 
खुद को भुखा रहकर भी माँ तू 
भरती है खाली पेट हमारा

सृष्टि की जननी है तू ही 
धरती पर वरदान है प्यारा 
आविष्कार है कुदरत का तू 
नायाब तोहफ़ा प्यारा-प्यारा 

न होती तो हम अनाथ हैं 
तेरा साथ है हमको प्यारा 
छन में तू दुःख हर लेती 
लबों पे देती मुस्कान प्यारा  

लोग पूजते देवी देवता 
मैं पुजू चरण तुम्हारा 
तेरे  लाल का दर्जा पाकर 
जीवन है जन्नत से प्यारा 

ये है अहोभाग्य हमारा 
ये है अहोभाग्य हमारा 
-----------कमला सिंह ज़ीनत 

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