Saturday, 5 October 2013

--------ग़ज़ल-------------
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प्यार में यारों दिल बहलाना ठीक नहीं 
बेमतलब का दिल में आना ठीक नहीं 

पल में रंग बदल जाये मस्ताने का 
ऐसा भी बुज़दिल दीवाना ठीक नहीं 

जो भी बीता पल है इश्क मुहब्बत में 
ये किस्सा तो आम सुनाना ठीक नहीं 

इश्क को समझे वो जिसने दिल हारा हो 
बिन समझे कोहराम मचाना ठीक नहीं 

दिल के शीश महल में नाम जो लिखा हो 
जीवन भर वो नाम मिटाना ठीक नहीं 

दिल के अंदर ज़ीनत खूब है खुशहाली 
इस दिल में फिर दर्द छुपाना ठीक नहीं 
--------------------------कमला सिंह ज़ीनत 

pyar mein yaaron dil bahlana thik nahi 
bematlab kaa dil mein aana thik nahi 

pal mein rang badal jaye mastaane ka 
aisaa bhi bujdil deewana thik nahi

jo bhi beeta pal hai ishq muhabbat mein 
ye kissa to aam sunana thik nahi

ishq ko samjhe vo jisne dil haaraa ho 
bin samjhe kohraam machaana thik nahi 

dil ke shish mahal mein naam jo likha ho 
jeevan bhar vo naam mitaana thik nahi 


dil ke andar 'zeenat' khub hai khushhaali 
is dil mein fir dard chhupana thik nahi 
---------------------------kamla singh zeenat 

1 comment:

  1. आपकी इस प्रस्तुति की चर्चा कल सोमवार [07.10.2013]
    चर्चामंच 1391 पर
    कृपया पधार कर अनुग्रहित करें |
    नवरात्र की हार्दिक शुभकामनाओं सहित
    सादर
    सरिता भाटिया

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