Thursday, 12 September 2013

---------------ग़ज़ल------------
-----------------------------------
जब भी ये दिल किताब होता है
लम्हा लम्हा हिसाब होता है

जो मेरे दिल में उतर जाता है
आदमी लाजवाब होता है

जिंदगी मेरी हो जिससे रौशन
वो मेरा आफताब होता है 

उस चमन से मुझे मुहब्बत है
जिस चमन में गुलाब होता है

होश खोना,संभलना सुब्हो-शाम
कितना ज़ालिम शबाब होता है

खुश हूँ ज़ीनत के सिर्फ मेरे लिए
कोई तो माहताब होता है
---------------कमला सिंह ज़ीनत
Like ·  · Promote · 

1 comment: