--------------ग़ज़ल -------------------------
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दर-दर तुम्हारे वास्ते आवारा फिरे हम
दुनियां ए आसमान में इक तारा फिरे हम
तुझको ही जीत लेने की चाहत में ये हुआ
जीती हुई बाज़ी रही और हारा फिरे हम
आये थे हज़ारों लिए इंसानों सा चेहरा
ए बुत , तुम्हारे नाम पे बस वारा फिरे हम
खुशियों की इसी शहर में,सब लोग हैं मेरे
किस्मत की रही बात के ,बेचारा फिरें हम
बरसात के मौसम ने भी मुझको नहीं बदला
हर बूंद रही मीठी, मगर खारा फिरें हम
ज़ीनत चलो हुआ सो हुआ ज़िक्र क्या करें
आवारगी लिखी थी तो आवारा फिरें हम
-------------------कमला सिंह जीनत
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दर-दर तुम्हारे वास्ते आवारा फिरे हम
दुनियां ए आसमान में इक तारा फिरे हम
तुझको ही जीत लेने की चाहत में ये हुआ
जीती हुई बाज़ी रही और हारा फिरे हम
आये थे हज़ारों लिए इंसानों सा चेहरा
ए बुत , तुम्हारे नाम पे बस वारा फिरे हम
खुशियों की इसी शहर में,सब लोग हैं मेरे
किस्मत की रही बात के ,बेचारा फिरें हम
बरसात के मौसम ने भी मुझको नहीं बदला
हर बूंद रही मीठी, मगर खारा फिरें हम
ज़ीनत चलो हुआ सो हुआ ज़िक्र क्या करें
आवारगी लिखी थी तो आवारा फिरें हम
-------------------कमला सिंह जीनत
बहुत सुन्दर प्रस्तुति..
ReplyDeleteक्या बतलाऊँ अपना परिचय ..... - हिंदी ब्लॉगर्स चौपाल - अंकः004
थोडी सी सावधानी रखे और हैकिंग से बचे
bahut bahut aabhar Lalit ji
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