मैं एक बूंद हूँ शबनम की,ठहरी हूँ लबे गुल पर
ज़रा सूरज निकल आता तो मैं भी चमचमा उठती
--------------------------------------कमला सिंह ज़ीनत
Main aik buund hun shabnam ki thahri hun labe gul par
Zara suraj nikal aataa to main bhi chamchama uthti
----------------------------------kamla singh zeenat
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