हर राह जिंदगी की अनजान और सुनी क्यों है
इसपर चलने वाला पथिक अर्धमूर्छित क्यों है
शायद वीरान है इस जहाँ की सारी राहें
हर शक्स यहाँ इस संसार में विचलित क्यों है
---------------------------------कमला सिंह जीनत
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