इतेफाक कहूँ जिंदगी की ,या समझी हुई चाल
आती हूँ जब भी करीब उसके फेंकता है नया जाल
उलझती हूँ जैसे ही मीठी बातों में उसके
झपकते ही वो बदल लेता है अपनी छिपी हुई खाल
---------------------------------कमला सिंह जीनत
…
०२/०८/१३
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