खामोशियाँ सिसकती ज़ीनत की शबे फुरकत में
तन्हाईयों को भी अब मुझसे गिला है मेरे मौला
-----------------------कमला सिंह ज़ीनत
किस्से उसके इश्क़ के बड़े सुने थे ज़ीनत ने
रंगीन है दिल का शायद वह ज़ालिम
-------------------------कमला सिंह ज़ीनत
दीवानगी की बात हर वक़्त करता है मुझसे
जाने कैसा ये सिरफिरा आशिक है बेचारा
----------------------कमला सिंह ज़ीनत
No comments:
Post a Comment