Sunday, 29 September 2013

बिक गयी मैं तेरी शिद्दत की तड़पन से
वरना मेरी कोई भी कीमत नहीं होती 
---------------------कमला सिंह ज़ीनत 

गयी थी इबादत के लिए खुदा के घर  
सज़दे में वो ज़ीनत मुझे  मिल गया
--------------------------कमला सिंह ज़ीनत  

उसकी दीवानगी का आलम ना पूछो ज़ीनत  
वो याद करता है जब भी कराह उठती हूँ 
---------------------------कमला सिंह ज़ीनत 

रुसवाईयों के डर से छुपती रही ज़ीनत 
सरे आम वो इजहारे वफ़ा कर गया 
------------------------कमला सिंह ज़ीनत 

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