मेरे अन्दर एक समुन्दर बहता है
नमकीन सा
प्यासे हो
जाओ
नदी की तरफ
एक घूँट भी नहीं उतार नहीं सकते तुम
गले से नीचे
गल जाओगे
पिघल जाओगे
मेरे अन्दर है
नमकीन पानी
मेरे अन्दर
समंदर बहता है
----------कमला सिंह ज़ीनत
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