Thursday, 19 September 2013

मेरे अन्दर एक समुन्दर बहता है 
नमकीन सा 
प्यासे हो 
जाओ 
नदी की तरफ 
एक घूँट भी नहीं उतार नहीं सकते तुम 
गले से नीचे 
गल जाओगे 
पिघल जाओगे 
मेरे अन्दर है
नमकीन पानी 
मेरे अन्दर 
समंदर बहता है  
----------कमला सिंह ज़ीनत 

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