--------------ग़ज़ल ----------------
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वो मेरा है,वो मेरा मुझको बुलाता होगा
अपने ख्वाबों में,मेरी याद सुलाता होगा
जब भी इक पल के लिए,मुझको भुलाता होगा
अपने ही आप को,ऐसे में,रुलाता होगा
मेरी आमद के लिए,पलकों से,वो चुन-चुनकर
आसमां तारों से,हर रोज़,सजाता होगा
वो मेरी याद के,साये से,लिपटने वाला
अपने ही सीने में,इक दर्द बढ़ाता होगा
मैं ज़माने की निगाहों से रहूँ पोशीदा
दिल के खाली किसी कमरे में छुपाता होगा
उंगलियाँ फेर के,ज़ीनत वो मेरी मूरत को,
जाफ़रानी किसी मिट्टी से बनाता होगा
----------------------कमला सिंह ज़ीनत
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