Thursday, 8 August 2013

zindgi

जिंदगी को जिंदगी से मिलने दे
लम्हों को मिल कर बिखरने दे 
पलों को ज़रा महकने दे 
लबों को ज़रा बहकने दे 
बरसों बाद पाया जो पल 
जीभर कर उनसे लिपटने दे 
हसरतों के पनपते कल को 
सांचे में दिल के ढलने दे 
जिंदगी को जिंदगी से मिलने दे। ।.…………… 
तसव्वुर में बस्ता था जो कल 
ज़न्मों की प्यास बुझने दे 
भटकती थी जो रूह वीराने में 
महफ़िल उसे सजाने दे
गुमज़दा था जो प्यार मेरा 
सूना था संसार मेरा 
बारात दिल की सजने दे 
मुझे ख्वाबों की दुल्हन बनके  
जिंदगी को जिंदगी से मिलने दे। ………… 
----------------------कमला सिंह जीनत   

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