Friday, 9 August 2013

भीगा भीगा सा मौसम है ठंढी सी पुरवाई है 
मुझको छू कर जो गुजरी है मेरी ही परछाई है
महका महका आँचल मेरा बहकी सी तन्हाई है 
हर दम गूंजती रहती मुझमें बेसुर की शहनाई है 
------------------------------------कमला सिंह ज़ीनत  

No comments:

Post a Comment