Sunday, 11 August 2013

सुर्ख जोड़े में खड़ी हूँ ,मैं अधूरी सी ग़ज़ल
तू अगर मक़्ते में ढल जाये तो बन जाऊं ग़ज़ल
-------------------------कमला सिंह ज़ीनत

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