Monday, 8 July 2013

उलझनों से भरी बंदगी क्यों, 
रात और दिन एक ही लगी क्यों, 
बेमानी सी लगती है हर एक शय ,
खामोशियों से भरी ये जिंदगी क्यों।
-----------------------कमला सिंह 'जीनत'

Uljhano se bhari bandagi kyun
Raat din aik hi lagi kyun
Be maani sa lagta hai har aik shaye
Khamoshiyon se bhari ye zindagi kyun.
------------------------कमला सिंह 'जीनत'

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