Saturday, 20 July 2013

किस-किस बात से डरती हूँ

मैं किस बात से डरती हूँ
तेरे ज़ज्बात से डरती हूँ
ये दिन और रात से डरती हूँ
घायल हालात से डरती हूँ
पता नहीं किस-किस बात से डरती हूँ …
.
लोगों के ताल्लुकात से डरती हूँ
बढ़ते हुजूम के तादाद से डरती हूँ
हसरतों के टूटते ख्वाब से डरती हूँ
लिए और दिए गए हिसाब से डरती हूँ
पता नहीं किस-किस बात से डरती हूँ ....

नित नए जिंदगी के उपहार से डरती हूँ
भूत और  भविष्य के किताब से डरती हूँ
दिलों के दिए सौगात से डरती हूँ
सही मायने में जिंदगी के आते तूफ़ान से डरती हूँ
पता नहीं 'जीनत'किस-किस बात से डरती हूँ......
-------------------------------------कमला सिंह 'जीनत' .

1 comment:

  1. वाह ..........!!
    कमाल कर दिया कमला जी ...!!
    बहुत खूब............!!

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