मेरी एक ग़ज़ल देखें
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आग दिल में लगाने से क्या फ़ायदा
अपना ही घर जलाने से क्या फ़ायदा
जब परिंदे ना चहकेंगे कल शाख पर
इस चमन को बचाने से क्या फ़ायदा
इल्म के साथ हासिल न हो अक्ल तो
बे -वजह फैज़ पाने से क्या फ़ायदा
आज तो हम तुम्हारे मुक़ाबिल नहीं
अब हमें आज़माने से क्या फ़ायदा
आँख बरसे नहीं , रूह तड़पे नहीं
यूँ ग़ज़ल गुनगुनाने से क्या फ़ायदा
बेरुखी ऐसी 'ज़ीनत' उन आँखों में है
बेसबब आने- जाने से क्या फ़ायदा
---कमला सिंह 'ज़ीनत'
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